अर्नब की दो टूक, कहा – उद्धव जी के साथ दुबई वाले भाई जान हैं, रिया है तो क्या…
सुशांत सिंह राजपूत को इंसाफ दिलाने की मुहिम छेड़ कर रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क बहुत हाईलाइट हो गया है। चैनल की टीआरपी में भी एकदम से इजाफा देखने को मिला। बता दे कि शो के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री तक पर सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद सबसे पहले उनका नाम टीआरपी स्कैम में घसीटा गया। वही उन्हे विधानसभा सचिवालय ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी भेजा। बता दे कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के मामले में अर्णब गोस्वामी को चौथी बार शुक्रवार को विधानसभा में पेश होने का नोटिस दिया गया। वहीं, अर्णब की ओर से दावा किया गया है कि नोटिस उन्हें दोपहर 2.50 बजे मिला। उन्हें सिर्फ 10 मिनट में यानी 3 बजे तक पेश होने के लिए कहा गया था। इस नोटिस के खिलाफ अब रिपब्लिक मीडिया सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
पूछता है भारत में दिखाया गुस्सा
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रिपब्लिक भारत इसे बदले की कार्रवाई बता रहा है। चैनल का कहना है कि उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव निंदनीय और राजनीतिक उद्देश्यों पर आधारित है। वहीं अर्णब गोस्वामी ने चैनल के शो पूछता है भारत में नोटिस के खिलाफ अपना गुस्सा दिखाया। शो के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि, अगर वह उनपर हमला करते हैं तो वह चुप नहीं रहेंगे। वह इस तरह के पत्रकार नहीं है कि कोई उनपर अटैक करें और वह चुपचाप देखते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव जी के साथ दुबई वाले भाई जान हैं, ड्रग्स के बादशाह है और रिया चक्रवर्ती है तो क्या वह चुपचाप खुद पर अटैक होते देखें और कहे कि उनपर और अटैक करें। उन्होंने नोटिस के बारे में बात करते हुए कहा कि उनके पास कोई सोनिया सेना का उड़न खटोला नहीं है जिससे उड़कर वह 10 मिनट में विधानसभा पहुंच जाते। उनका कहना है कि अगर उनके पास कोई उड़न खटोला होता तो वह तुरंत ही विधानसभा में पेश हो जाते।
देश के संविधान पर है भरोसा
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अर्णब गोस्वामी ने आगे कहा कि देश की जनता उन पर भरोसा करती हैं। उनके ऊपर पूरे देश के लिए आवाज उठाने की जिम्मेदारी है। इसलिए वह हार नहीं मानेंगे क्योंकि उन्हें देश के संविधान पर पूरा भरोसा है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें किस तरीके से महाराष्ट्र सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है। अर्णब गोस्वामी ने कहा की, उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से एक के बाद एक नोटिस आ रहे हैं। लेकिन, वे उनके जवाबों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ये तरीका अवैध और असंवैधानिक है। महाराष्ट्र विधानसभा का उद्देश्य महाराष्ट्र के लोगों की सेवा करना है, न कि रिपब्लिक से बदला लेना। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन इसके बावजूद उन्हें नोटिस भेजा गया और 10 मिनट के अंदर विधानसभा में पेश होने के लिए कहा। इसका क्या मतलब है? महाराष्ट्र सरकार ने आज सार्वजनिक रूप से बदले की भावना दिखाई है।