रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के editor-in-chief अर्णब गोस्वामी को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। अर्णब गोस्वामी को 2 साल पहले हुए एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के केस में गिरफ्तार किया गया था। अर्णब के साथ दो अन्य लोगों पर इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा था। जिसके चलते 3 साल पुरानी एफआईआर पर 4 नवंबर को अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया।
अलीबाग के स्थानीय कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। वहीं मुंबई हाई कोर्ट ने भी अर्णब की जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। लेकिन कल सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी के अधिकारों की रक्षा करते हुए उन्हें जमानत दी है। जेल से बाहर आते ही अर्णब गोस्वामी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती दे डाली। उन्होंने उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा है कि, उन्हें उनके साथ सभी मुद्दों पर एक बार बहस कर लेनी चाहिए।
उद्धव ठाकरे को देना चाहिए एक इंटरव्यू
It was illegal arrest done by a govt that doesn't understand that it can't push back independent media.If Uddhav Thackeray has problem with my journalism, he should give me interview. I challenge him to debate with me on issues I disagree with him:Republic TV Editor Arnab Goswami https://t.co/yUvNHE7BVt pic.twitter.com/sKQgqbOA7C
— ANI (@ANI) November 11, 2020
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्णब गोस्वामी को रात 8:30 बजे के करीब तलोजा जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आते ही उन्होंने वहां मौजूद भीड़ का हाथ हिलाते हुए अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि, यह सभी भारतीयों की जीत है। इसके साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को भी धन्यवाद दिया। अर्नब गोस्वामी ने मीडिया से बात करते हुए कहा की, राज्य सरकार ने अवैध तरीके से उन्हें गिरफ्तार करवाया और उनकी जमानत की अर्जी खारिज कराई थी।
Arnab Goswami to Uddhav – Game has just begun
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) November 11, 2020
लेकिन सरकार इन हथकंडो से मीडिया की पॉवर कम नहीं कर सकती। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री को चैलेंज करते हुए कहा है कि, मुख्यमंत्री को अगर उनके विचारों और पत्रकारिता से किसी भी प्रकार की परेशानी है, तो उन्हें एक बार उन्हें इंटरव्यू दे देना चाहिए। जहां पर वह उन सभी मामलों पर विचार विमर्श या बहस कर लेंगे जिनमें दोनों की राय अलग अलग है।
स्वतंत्रता की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट का फर्ज है
GOOSEBUMPS .. WHAT A MAN 👏👏👏 We dont owe ANY EXPLANATION to these POLITICIANS what our Journalism should be. Hum Samjhotha kabhi nhi karenge. NATION FIRST NO COMPROMISE🔥🔥 #ArnabIsBack #ArnabGoswami pic.twitter.com/YL76MV7F4s
— Rosy (@rose_k01) November 11, 2020
अर्णब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, देश के हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट का दायित्व है। अगर राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति को अपने मकसद के लिए लक्षित करती है, तो यह कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह निष्पक्ष होकर फैसला सुनाएं। कोर्ट ने सरकार को यह सलाह भी दी है कि उन्हें किसी भी व्यक्ति से विचारों में मतभेद होने या उसके कटाक्षों को नजरअंदाज करते हुए केवल केस को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए।
Aa gaya Arnab Studio mein.. HATS OFF TO THIS MAN 👏👏👏 Amazing… he is looking so tired BUT FIGHTING SPIRIT IS INTACT 🔥🔥 #ArnabIsBack #ArnabGoswami pic.twitter.com/uU1heSyh5M
— Rosy (@rose_k01) November 11, 2020
कोर्ट ने कहा कि, किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता या अधिकारों का हनन किया जाता है तो यह न्याय का मखौल बनाना होगा। कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी के साथ इस केस में दो अन्य व्यक्तियों नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख को रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट ने उन्हें जांच में सहयोग करने और सबूतों के साथ कोई भी छेड़छाड़ न करने का आदेश भी दिया है।