आर. माधवन ने अपनी फिल्म रॉकेट्री में बताया बड़ा झूठ! इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा
पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की रुला देने वाली कहानी फिल्म ‘रॉकेट्री’ ने अपनी रिलीज को लगभग दो महीने होने वाले हैं। आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री द नंबी इफेक्ट’ 1 जुलाई 2022 को रिलीज हुई थी। इस फिल्म को दर्शकों का बेहद अच्छा रिस्पॉन्स मिला। ये फिल्म में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक नंबी नारायण पर बनी है।
इस फिल्म के रिलीज के बाद से ही दर्शकों और समीक्षकों से सराहना मिली। अब हाल ही में पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा कि फिल्म ‘रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट’ में पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा किए गए दावे झूठे हैं। बता दें कि एक्टर आर माधवन द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित फिल्म एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में माधवन मुख्य भूमिका में हैं।
वैज्ञानिकों का आरोप-अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम कर रही है फिल्म
यही नहीं, उन्होंने बताया कि ये सारे दावे भारत की दिग्गज अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम कर रहे हैं। डॉ. ए ई मुतुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो, प्रो. ई वी एस नंबूतीरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिकों ने मीडिया से मुलाकात की। साथ ही फिल्म में किए गए कई दावों को खारिज किया।
पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को “रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट” फिल्म के माध्यम से और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम करने पर तुले हुए हैं। ऐसे में हम हम सार्वजनिक रूप से कुछ बातें बताने के लिए मजबूर हुए हैं।
फिल्म ‘रॉकेट्री’ में कई दावे गलत
साथ ही उन्होंने दावा कि वह कई प्रोजेक्ट के जनक हैं, बिल्कुल गलत है। उन्होंने फिल्म में दावा किया कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को सही किया था, जो आगे चलकर राष्ट्रपति बने। यह फैक्ट गलत है।’ पूर्व वैज्ञानिकों ने यह भी कहा, ‘फिल्म में नारायणन ने गलत दावा है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई। इसरो ने 1980 के दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था और ई वी एस नंबूदरी प्रभारी थे। उन्होंने कहा, ‘नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था।’
उन्होंने दावा किया, ‘इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लेखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं। हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया है वह सच है। कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी चिंता जताई कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं।’ बता दें कि ‘रॉकेट्री’ को रिलीज के पहले दिन हिंदी इलाकों में सिर्फ 95 लाख रुपये की ओपनिंग मिली थी। दिलचस्प बात यह है कि ये फिल्म तकरीबन सभी भारतीय भाषाओं में ओटीटी पर उपलब्ध है। इसके अलावा फिल्म का हिंदी संस्करण वूट पर और बाकी भाषाई संस्करण दूसरे ओटीटी पर मौजूद हैं।