सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने अर्नब मामले की तत्काल सुनवाई का किया विरोध, उठाएं यह सवाल
अर्णब गोस्वामी को अलीगढ़ के स्थानीय कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है। जिसके बाद अर्णब ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। 2 दिन तक सुनवाई करने के बाद अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद उन्होंने मंगलवार शाम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को अगले ही दिन यानी बुधवार को सुनवाई के लिए लिस्ट किया है।
इस बात पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखते हुए पूछा है कि, अर्णब गोस्वामी की याचिका को अगले ही दिन सुनवाई के लिए क्यों लिस्ट कर दिया गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में कई पुराने मामले काफी समय से अटके हुए हैं। उन्होंने इस मामले में चीफ जस्टिस के विशेष आदेश देने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
क्या चीफ जस्टिस ने दिए हैं विशेष निर्देश
President of SCBA and Senior Adv Dushyant Dave writes to #SupremeCourt court Secretary General asking if there is any special direction from CJI SA Bobde to urgently list all matters filed by #ArnabGoswami while similar matters take long for getting listed #SupremeCourt pic.twitter.com/A545RVEb4L
— Bar & Bench (@barandbench) November 10, 2020
अर्णब गोस्वामी की जमानत याचिका दायर होने के अगले ही दिन लिस्ट होने पर मंगलवार रात 8 बजे दुष्यंत दवे ने पत्र लिखते हुए महासचिव से सवाल पूछे हैं। उनका मानना है कि, सुप्रीम कोर्ट ने बहुत से मामलों में अभी तक सुनवाई नहीं की है। तो फिर अर्णब गोस्वामी की याचिका को अगले ही दिन सुनवाई के लिए क्यों लिस्ट कर दिया गया।
Very unkind from Dushyant Dave misusing his position as SCBA President …. Dave himself was successful in many cases to get it listed fast for his clients … very unkind https://t.co/dzZwY0yRvU
— J Gopikrishnan (@jgopikrishnan70) November 10, 2020
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि, क्या इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कोई विशेष प्रकार का निर्देश दिया हुआ है। जिसकी वजह से अर्णब को यह स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि, उनकी अर्णब गोस्वामी से कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं है। वह यह पत्र केवल इस सुनवाई के विरोध में लिख रहे हैं। न ही वह यह चाहते हैं कि अर्णब गोस्वामी से उनका अधिकार छीन लिया जाए। क्योंकि देश के हर नागरिक की तरह उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट से न्याय मांगने का अधिकार प्राप्त है।
केस की लिस्टिंग में नहीं हो रही निष्पक्षता
दवे ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि, अर्णब गोस्वामी जब भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाते हैं। तो हर बार उनकी याचिका बहुत जल्द सुनवाई के लिए लिस्ट हो जाती है। उन्होंने आगे लिखा की, कोरोना महामारी की वजह से देश भर में लगे लॉकडाउन के कारण सुप्रीम कोर्ट में ऐसे कई मामले हैं जो पिछले 8 महीने से पेंडिंग हैं। जिन मामलों में हजारों लोग जेल में सजा काटते हुए सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
Arnab Goswami’s wife, Samyabrata Goswami writes to #SupremeCourt Secy General as to how Senior Adv Dushyant Dave is attempting to sully Goswami’s reputation as he remained silent when cases of @VinodDua7 & @pbhushan1 was urgently listed and heard#SupremeCourt @republic pic.twitter.com/z5P8Gpr2rD
— Bar & Bench (@barandbench) November 10, 2020
लेकिन इतने महीनों के बाद भी उनकी याचिका को लिस्ट नहीं किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए केस की लिस्टिंग में निष्पक्षता क्यों नहीं रखती है। दवे ने अपने पत्र में चीफ जस्टिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि, ऐसे मामले में जब तक चीफ जस्टिस कोई विशेष निर्देश नहीं देते हैं तब तक केस की तत्काल लिस्टिंग नहीं होती है। क्या सुप्रीम कोर्ट या फिर महासचिव ही अर्णब गोस्वामी को स्पेशल ट्रीटमेंट देना चाहते हैं।
चिदंबरम को भी रहना पड़ा था जेल में
दवे ने अपने पत्र में कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम के केस का भी उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि पी चिदंबरम के केस की भी तत्काल सुनवाई नहीं हुई थी। जिस वजह से वह महीनों तक जेल में बंद थे। जब चिदंबरम को यह सुविधा नहीं मिली है तो फिर अर्णब गोस्वामी को क्यों दी जा रही है।
This is SCBA President and Prashant Bhushan's friend Mr. Dushyant Dave's letter to CJI, for not letting him speak on the farewell of Justice Mishra.
Who thinks, after this, the letter against Arnab Goswami will hold a higher value ?
Do read the letter. Its fun to read the crib! pic.twitter.com/b0vGWjaWUl
— Chandni Preeti Vijaykumar Shah (@adv_chandnishah) November 10, 2020
उन्होंने आगे लिखा है कि, सुप्रीम कोर्ट में केस की लिस्टिंग सिलेक्टिव तौर पर नहीं की जानी चाहिए। दवे ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि, यह चिट्ठी जस्टिस की उस बेंच तक भी पहुंचनी चाहिए जो कि अर्णब गोस्वामी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाले हैं।