इस दौर में देश काफी मुश्किल हालातों से गुज़र रहा है। ऐसी विकट परिस्थिति में लगभग देश का हर नागरिक अपनी क्षमता अनुसार लोगों की मदद करने में लगा हुआ है। यह लोगों का आपसी विश्वास और अटूट रिश्ता है कि देश में हालात इतने बुरे नहीं हुए जितने हो सकते थे। अब इस मदद की सूची में सुशांत के चाहने वालों का भी नाम शामिल हो गया है। दरअसल सुशांत के नाम से इन दिनों SSRIANS नाम का एक समूह लोगों की मदद में लगा हुआ है। अक्सर सुशांत के चाहने वाले अपने सुपरस्टार को याद करने के लिए कई तरह के कैंपेंन या कुछ और काम करते रहते हैं। इस बार SSRIANS ग्रुप ने लोगों की मदद का रास्ता चुना है। इस मदद से सुशांत की बहन श्वेता सिंह भी काफी प्रभावित हुई हैं, और उन्होंने इस ग्रुप को धन्यवाद भी कहा है।
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गौरतलब है कि सुशांत के जाने के बाद से ही श्वेता सिंह कीर्ति सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। वे लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी और परिवार की आवाज बुलंद करते हुए अपने भाई के लिए न्याय की मांग कर रही है। श्वेता लगभग हर रोज़ सुशांत से जुड़ी हुई कुछ ना कुछ चीज़ें पोस्ट करती रहती हैं, यही वजह है कि लागभग एक साल का वक्त बीतने के बाद भी सुशांत की यादें आज भी लोगों के ज़हन में हैं। इसके साथ श्वेता सिंह कीर्ति सुशांत के चाहने वालों की प्रशंसा भी करती रहती है। अभी हाल ही में बहन श्वेता सिंह को एक बार फिर यह करने का मौका मिला।
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बता दें सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से कुछ फोटो और वीडियो हाल ही के दिनों में शेयर किए हैं। इन तस्वीरों और वीडियो में आप देख सकते हैं कि सुशांत के नाम और काम करने वाले और अपने आपको SSRIANS कहने वाले फैंस लोगों के बीच पहुंच कर उनकी मदद कर रहे हैं। इन तस्वीरों के कैप्शन में श्वेता सिंह कीर्ति कहती हैं कि जरूरतमंदों की मदद करना भगवान को भोग लगाने के समान है। धन्यवाद SSRIANS’
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अब बहन श्वेता सिंह कीर्ति की इस पोस्ट पर सुशांत के चाहने वाले खूब कॉमेंट कर रहे हैं और इस तरह के काम की सराहना कर रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले सुशांत की बहन श्वेता सिंह कीर्ति ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से सुशांत की आखरी पोस्ट का स्क्रिन शॉर्ट शेयर किया था। जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा था ‘भाई का आखिरी पोस्ट… मेरा दिल दर्द से भर जाता है कि जब मुझे ये एहसास होता है कि मैं तुम्हें कभी असलियत में नहीं देख पाऊंगी। किस तरह दर्द आपको कई टुकड़ों में तोड़ देता है! हम जितना उन टुकड़ों को संभालने और वापस बनाने की कोशिश करते हैं, उतना ही लगता है कि ये नामुमकिन काम है।’